४३ स्वजात विद्वेश
साधारणतः नारीयोंमे स्वजाती के प्रती असहानुभुती और उपेक्षा देखी जाती है.
और इसका अनुसरण करती है दोषदृष्टी, ईरषा, आक्रोश, पारश्रीकतरता.
और उसके फलस्वरूप दूसरे कि अप्रतिष्ठा करनेमे अपनी प्रतिष्ठा को भी नष्ट कर डालती है.
तुम कभी भी ऐसा मत बनो. अन्याय का अनादर करके भी बोध और अवस्था की ओर देखती हुई सहानुभुती और सहाय्यप्रवण हो. ख्याती तुम्हारी परीचरया करेगी, संदेह नही.
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