Friday, May 18, 2007

जय राधे राधे

जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण
गोविन्द गोविन्द बोल रे।
राधे गोविन्द गोविन्द गोविन्द गोविन्द
गोविन्द बोले सदा डाको रे।
छाड़ो रे मन कपट चातुरी
बदने बोल हरी हरी।
हरी नाम परमब्रह्म जिवेर मुलधर्म
अधर्म कुकर्म छाड़ो रे।
छाड़ो रे मन भवेर आशा
अजपा नामे करो रे नेशा।
राधे गोविन्द नामटी बदने लइये
नयन निरे सदा भासो रे।
- श्री श्री ठाकुर अनुकुलचंद्र

सद्गुरु स्तोत्र

सद्गुरु स्तोत्र

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुदेवो महेश्वरा:।
गुरुरेव परमब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः॥
अखंड मंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः॥
अज्ञानतिमिरांधस्य ज्ञानांजनशलाकया।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्री गुरुवे
स्थावरं जंगमं व्याप्तं येन कृतस्नं चराचरम।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
परिव्याप्तं त्रैलोक्यं सचराचरम।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः।
तत्वज्ञानात परं नास्ति तस्मै श्री गुरुवे नम:॥

मन्नाथ: श्रीजगन्नाथो मद्गुरू श्रीजगद्गुरू।
मदात्मा सर्वभुतात्मा तस्मै श्री गुरुवे नम:॥
गुरुरादिरनादिच्श गुरू: परमदैवतम।
गुरो: परतरं नास्ति तस्मै श्री गुरुवे नम:॥

ब्रह्मानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमुर्तिम।
द्वंद्वातितम गगनसदृशं तत्त्वमस्यादी लक्ष्यं।।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्व्वधीसाक्षिभूतं।
भावातितं त्रिगुणरहितं सद्गुरुँ त्वाँ नमामि।।

--- जय गुरू ---
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Thursday, May 17, 2007

प्रातः और संध्याकालीन प्रार्थना

प्रातः और संध्याकालीन प्रार्थना


बार बार कर जोड़कर, सविनय करू पुकार।
साधू संग मोहि देव नित, परम गुरू दातार॥
कृपा सिंधु समरथ पुरुष, आदि अनादी अपार।
राधास्वामी परम पितु, मैं तुम सदा अधार॥
बार बार बल जावुं, तम मन वारु चरण पर।
क्या मुख ले मैं गावूं, मेहर करी जस कृपा कर॥
धन्य धन्य गुरुदेव, दया सिंधु पूरण धनी।
नित्य करू तुम सेव, अचल भक्ती मोहि देव प्रभु॥
दीन अधीन अनाथ, हाथ गहा तुम आनकर।
अब राखो नित साथ, दिन दयाल कृपानिधि॥
काम क्रोध मद लोभ, सबबिधि अवगुण हार मैं।
प्रभु राखो मेरी लाज, तुम द्वारे अब मैं पड़ा॥
राधास्वामी गुरू समरथ, तुम बिन और ना दूसरा।
अब करो दया प्रत्यक्ष, तुम द्वारे एती विलंब क्यों॥
दया करो मेरे साईयाँ, देव प्रेम कि दात।
दूःख सुख कछु व्यापे नहीं, छूटे सब उत्पात॥

--- जय गुरू ---
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संध्याकालीन प्रार्थना

बार बार करूं बिनती, राधास्वामी आगे।
दया करो दाता मेरे, चित्त चरणन लागे॥
जनम जनम रहीं भूल मे, नहीं पाया भेदा।
काल करम के जाल मे, रही भोगत खेदा॥
जगत जीव भरमत फीरे, नित चारो खानी।
ज्ञानी योगी पिल रहे, सब मन कि घानी॥
भाग जगा मेरे आदिका, मिले सद्गुरु आई।
राधास्वामी धाम का मोहि भेद जनाई॥
उंचा से उंचा देश है, वह अधर ठिकाणी।
बिना संत पावे नही, श्रुत शब्द निशानी।
राधास्वामी नाम कि, मोहि महिमा सुनाई।
विरह अनुराग जगाय के, घर पहुंचू भाई।
साधू संग कर सार रस, मैंने पिया अघाई।
प्रेम लगा गुरू चरण मे, मन शांत ना आई।
तरप उठे बेकल रहूँ, कैसे पियाँ घर जाई।
दर्शन रस नित नित लहूं, गहे मन थिरताई।
सूरत चढ़े आकाश मे, करे शब्द बिलासा।
धाम धाम निरखत चले, पावे निज घर बासा।
यह आशा मेरे मन बसें, रहे चित्त उदासा।
विनय सुनो किरपा करो, दीजै चरण निवासा।
तुम बिन कोई समरथ नही जासे मांगू दाना।
प्रेम धर बरखा करो, खोलो अमृत खाना।
दीन दयाल दया करो, मेरे समरथ स्वामी।
सुकर करूं गावत रहूँ, नित राधास्वामी।

--- जय गुरू ---

प्रातःकालीन प्रार्थना

प्रातःकालीन प्रार्थना

राधास्वामी नाम जो गावे, सोई तरे।
कलकलेश सब नाश, सुख पावे सब दूःख हरे।।
ऐसा नाम अपार, कोई भेद न जानई।
जो जाने सो पार, बहुर न जग मे जन्मइ॥
राधास्वामी गायकर, जनम सुफल करले।
यही नाम नीज नाम है, मन अपले धरले॥
बैठक स्वामी अद्भुती, राधा निरख निहार।
और न कोई लख सके, शोभा अगम अपार॥
गुप्त रूप जहँ धारिया, राधास्वामी नाम।
बिना मेहर नही पावई, जहाँ कोई विश्राम॥
करुँ बंदगी राधास्वामी आगे, जिन परताप जिव बहु जागें।
बारम्बार करु परणाम, सद्गुरु पदम धाम सतनाम॥
आदि अनादी युगादी अनाम, संत स्वरुप छोड निज धाम।
आये भवजल नाव लगाई, हमसे जीवन लिया चढाई॥
शब्द दृढाया सूरत बताई, करम भरम से लिया बचाई।
कोटी कोटी करु वंदना, अरब खरब दंडोत॥
राधास्वामी मिल गये, खुला भक्ती का स्त्रोत।
भक्ती सुनाई सबसे न्यारी, वेद कतेब ना ताहि बिचारी॥
सत्तपुरुष चौथे पदवासा, सन्तन का वहां सदा बिलासा।
सो घर दरसाया गुरू पुरे, बिन बजे जहँ अचरज तुरे॥
आगे अलख पुरुष दरबारा, देखा जाय सूरत से सारा।
तिसपर अगम लोक इक न्यारा, संत सुरत कोई करत बिहारा।।
तहँ से दरसे अटल अटारी, अद्भुत राधास्वामी महल संवारी ।
सूरत हुई अतिकर मगमानी, पुरुष अनामी जाय समानी ॥
--- जय गुरू ---

Wednesday, May 9, 2007

Bhajans

यह भजन ड़ोम्बिवली सत्संग वृन्द के कार्यक्रम से लिए है।


संध्याकालीन प्रार्थना...


प्रातः और संध्याकालीन प्रर्थना...




सदगुरु वंदना



जय राधे राधे कृष्ण कृष्ण...




राधा राधा ...




राधा राधा नाम ...


सुंदर अपरुप...



जय राधे जय कृष्ण...